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Santo Shiromani Kabir Saheb


संत कबीर दस जी का जन्म सं 1398 मैं ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वाराणसी के निकट लहराता नमक स्थान पर हुआ था ।

कबीर भले ही छोटा सा एक नाम हो पर ये भारत की वो आत्मा है जिसने अपनी शिक्षा के द्वारा कर्मकांडो , आडम्बरों और कुरीतियों से मुक्त भारत की रचना की है । आपने लोगों की आँखों को खोला और उन्हें मानवता , नैतिकता और धार्मिकता का वास्तविक पाठ पढ़ाया ।

कबीर जी यह भले भांति समझते थे की अगर एक अच्छे व्यक्ति और समाज का निर्माण करना है तो हमें अपनी कुरीतियों और रूढ़िवादी परम्पराओं को छोड़ना होगा और सभी को शिक्षित होना होगा ।

आप जीवन मैं शिक्षा और गुरु का बड़ा महत्व मानते थे इसलिए अपने लिखा है की –

सब धरती कागज करू , लेखनी सब वनराज ।
सात समुद्र की मसि करू , गुरु गुण लिखा न जाये ।।
यह तन विष की बेलरी , गुरु अमृत की खान ।
शीश दियो जो गुरु मिले , तो भी सस्ता जान ।।

इसलिए कहा जा सकता है की शिक्षा को ही माध्यम बनाकर , शिक्षा के द्वारा ही एक अच्छे व्यक्ति और समाज का निर्माण किया जा सकता है ।

शिक्षा के महत्व के विषय मैं संत कबीर साहेब जी हमें जितना प्रेरित करते हैं उतना कोई नहीं ।